Wednesday, 18 August 2021

अफ़ग़ानिस्तान में तालिबान विरोधी हो रहे हैं एकजुट, लेकिन क्या वे टक्कर दे पाएँगे?

 अफ़ग़ानिस्तान में तालिबान के प्रवक्ता ज़बीहुल्लाह मुजाहिद ने घोषणा की है कि अफ़ग़ानिस्तान में चल रही जंग ख़त्म हो गई है.


लेकिन दूसरी ओर अज्ञात स्थान से जारी किए गए एक संदेश में अफ़ग़ानिस्तान के उप राष्ट्रपति अमरुल्लाह सालेह ने कहा है कि राष्ट्रपति अशरफ़ ग़नी के देश छोड़ कर चले जाने के बाद, अब वे अफ़ग़ानिस्तान के कार्यवाहक राष्ट्रपति हैं और "जंग अभी ख़त्म नहीं हुई है."

काबुल में देश का नियंत्रण संभालने के बाद मंगलवार को अफ़ग़ान तालिबान के प्रवक्ता ने अपनी पहली ऑन-स्क्रीन प्रेस कॉन्फ़्रेंस की. इस कॉन्फ़्रेंस में ज़बीहुल्लाह ने आम माफ़ी देने, महिलाओं के अधिकार और नई सरकार बनाने को लेकर बात की थी.

लेकिन प्रेस कॉन्फ़्रेंस से कुछ ही समय पहले, अफ़ग़ानिस्तान के उप राष्ट्रपति, अमरुल्लाह सालेह ने घोषणा की कि अफ़ग़ान संविधान के अनुसार, राष्ट्रपति की अनुपस्थिति, इस्तीफ़े या मृत्यु की स्थिति में, उपराष्ट्रपति देश का कार्यवाहक राष्ट्रपति बन जाता है.

ट्विटर पर अपने बयान में, अमरुल्लाह सालेह ने कहा, "मैं इस समय देश में हूँ और क़ानूनी रूप से कार्यवाहक राष्ट्रपति हूँ. मैं सभी नेताओं का समर्थन और सर्वसम्मति पाने के लिए उनके संपर्क में हूँ."


जहाँ एक तरफ अशरफ़ ग़नी ने अफ़ग़ानिस्तान छोड़ दिया है, वहीं अमरुल्लाह सालेह उन कुछ अफ़ग़ान नेताओं में से एक है, जो तालिबान नियंत्रण के ख़िलाफ़ एक विरोध आंदोलन शुरू करने के लिए तैयार हैं और सशस्त्र तालिबान लड़ाकों के देश पर क़ब्ज़े को "अवैध" कहते हैं.

फ़िलहाल स्थिति यह है कि तालिबान ने देश के सभी महत्वपूर्ण सीमा मार्गों पर क़ब्ज़ा कर लिया है और सिर्फ़ कुछ ही इलाक़े ऐसे हैं, जहाँ तालिबान ने अभी तक नियंत्रण का दावा नहीं किया है.

मसूद के बेटे ने किया जंग का ऐलान

इससे एक दिन पहले, फ़्रांसीसी पत्रिका के लिए लिखे गए एक लेख में, "शेर-ए-पंजशीर" के नाम से मशहूर अफ़ग़ान नेता अहमद शाह मसूद के बेटे अहमद मसूद ने अपने पिता के नक़्शेक़दम पर चलते हुए तालिबान के ख़िलाफ़ 'जंग लड़ने की घोषणा' कर दी है.

अहमद मसूद ने इंस्टाग्राम पर पोस्ट किए गए एक वीडियो में दावा किया है कि वो अफ़ग़ानिस्तान से बाहर नहीं गए हैं और पंजशीर में अपने लोगों के साथ है.

क़ाबुल से लगभग तीन घंटे की दूरी पर पंजशीर प्रांत तालिबान के ख़िलाफ़ विरोध के लिए जाना जाता है. साल 1996 से 2001 तक तालिबान के शासन के दौरान भी यह प्रांत उनके नियंत्रण में नहीं था. वहाँ उत्तरी गठबंधन (नॉर्दर्न एलायंस) ने तालिबान का मुक़ाबला किया था.

पंजशीर में मौजूद सूत्रों ने बीबीसी को बताया कि अमरुल्लाह सालेह और अहमद मसूद ने पूर्व उत्तरी गठबंधन के प्रमुख कमांडरों और सहयोगियों के साथ फिर से संपर्क किया और उन सभी को संघर्ष में शामिल होने के लिए राज़ी भी किया है.

अशरफ़ ग़नी के इस्तीफ़े का विरोध: 'हम तालिबान का मुक़ाबला करेंगे'

राष्ट्रपति अशरफ़ ग़नी के एक क़रीबी ने रविवार को अफ़ग़ानिस्तान की राजधानी क़ाबुल में राष्ट्रपति भवन में हुए कार्यक्रमों पर प्रकाश डाला है.

उन्होंने बीबीसी को बताया कि जब पिछले शुक्रवार को तालिबान क़ाबुल पर क़ब्ज़ा करने के लिए आ रहे थे, तो कुछ हलकों ने राष्ट्रपति अशरफ़ ग़नी पर इस्तीफ़ा देने के लिए दबाव डाला था. लेकिन वो नहीं माने.

उन्होंने दावा किया कि शनिवार और रविवार की मध्य रात्रि तक कई बैठकों में, राष्ट्रपति अशरफ़ ग़नी के कई क़रीबी सहयोगियों ने उन्हें इस्तीफ़ा देने और देश छोड़ कर चले जाने की सलाह दी थी, लेकिन अमरुल्लाह सालेह ही एकमात्र ऐसे व्यक्ति थे, जिन्होंने राष्ट्रपति अशरफ़ ग़नी से आख़िरी समय तक कहा कि वे न इस्तीफ़ा दें और न ही देश छोड़ें.

उनके मुताबिक़, इस मौक़े पर अमरुल्लाह सालेह ने बार-बार कहा कि ''हम तालिबान का मुक़ाबला करेंगे.''

राष्ट्रपति भवन की इन बैठकों के बारे में एक अन्य सूत्र ने भी इसी बात की पुष्टि करते हुए कहा कि अमरुल्लाह सालेह राष्ट्रपति अशरफ़ ग़नी के इस्तीफ़ा देने के सख़्त ख़िलाफ़ थे.

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