कोरोना महामारी के कारण इस साल का आईपीएल संयुक्त अरब अमीरात में हो रहा है. कई तरह की पाबंदियों और बिना दर्शकों के बीच.
आईपीएल की दो मज़बूत टीम मानी जाने वाली मुंबई इंडियंस और चेन्नई सुपर किंग्स के बीच पहला मैच शनिवार को हुआ.लेकिन इस मैच के दौरान सबसे ज़्यादा चर्चा हुई उस डीआरएस की, जो धोनी ने लिया तो सही लेकिन वे सही जज नहीं कर पाए. मुंबई इंडियंस की पारी का 14वाँ ओवर चल रहा था और पीयूष चावला की गेंद पर सौरव तिवारी के ख़िलाफ़ एलबीडब्लू की अपील हुई. अंपायर ने नॉट आउट कहा.
विकेट के पीछे मौजूद कप्तान धोनी ने फ़ैसले की समीक्षा के लिए डीआरएस लेने का फ़ैसला किया. लेकिन गेंदबाज़ पीयूष चावला ख़ुद डीआरएस के पक्ष में नहीं थे. लेकिन धोनी की ज़िद पर डीआरएस लिया गया और धोनी का फ़ैसला ग़लत साबित हुआ.
डीआरएस के मामले में धोनी के फ़ैसले को ज़्यादातर समय सही ही माना गया है. लेकिन इस बार धोनी चूक गए. बस क्या था ट्विटर पर धोनी और डीआरएस की चर्चा होने लगी. लोगों ने तो यहाँ तक कह दिया कि ये साल 2020 सचमुच काफ़ी ख़राब साबित हो रहा है.
लेकिन धोनी ने इसी मैच में अपनी इस ग़लती को सुधार लिया. धोनी जब बल्लेबाज़ी करने उतरे तो उन्हें कैच आउट दे दिया गया. लेकिन धोनी ने डीआरएस लिया और इस बार उनका फ़ैसला सही साबित हुआ और वे आउट नहीं थे. हालाँकि इस मैच में वो बिना खाता खोले ही लौट आए और उनकी टीम आसानी से ये मैच जीत गई.
कोरोना महामारी के कारण क्रिकेटर्स की ट्रेनिंग भी प्रभावित हुई है और उन्हें अभ्यास का मौक़ा नहीं मिल पाया. लेकिन एक ओर जहाँ विराट कोहली जैसे खिलाड़ियों ने बार-बार कोरोना काल में फ़िटनेस के लिए अपनी कोशिशों की तस्वीरें सोशल मीडिया पर शेयर की, वहीं पहले मैच में कई खिलाड़ियों का वज़न बढ़ा हुआ दिखाई दिया.
मुंबई इंडियंस के कप्तान रोहित शर्मा हों या चेन्नई के गेंदबाज़ पीयूष चावला. सबका वज़न ज़्यादा दिख रहा था. लेकिन सबसे ज़्यादा चर्चा हुई सौरभ तिवारी की. मुंबई इंडियंस के लिए बल्लेबाज़ी करने को उतरे सौरभ तिवारी को तो एक बार लोगों को पहचानने में भी दिक्क़त हुई होगी.
ऐसा इसलिए भी है क्योंकि वे अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से दूर हैं. लेकिन साफ़ दिख रहा था कि उनका वज़न काफ़ी बढ़ गया है. हालाँकि सौरभ तिवारी ने मुंबई इंडियंस की ओर से सर्वाधिक 42 रन बनाए. लेकिन ये साफ़ दिख रहा था कि कोरोना काल में मैदान से दूर रहने और अभ्यास न करने का असर खिलाड़ियों के शरीर पर भी हुआ है.मुरली विजय और शेन वॉटसन ने जब चेन्नई की पारी शुरू की तो दोनों से काफ़ी उम्मीदें थी. लेकिन बोल्ट और पैटिन्सन ने दोनों को काफ़ी परेशान किया. सबसे पहले शेन वॉटसन आउट हुए. बोल्ट की एक बेहतरीन गेंद उनके बैक फुट पर जाकर लगी और उन्हें एलबीडब्लू आउट करार दिया गया
अगले ही ओवर में पैटिन्सन की गेंद पर मुरली विजय के ख़िलाफ़ एलबीडब्लू की ज़ोरदार अपील हुई, लेकिन अंपायर ने नॉट आउट कहा और काफ़ी विचार विमर्श के बाद कप्तान रोहित शर्मा ने डीआरएस नहीं लिया. इसी ओवर में मुरली विजय के ख़िलाफ़ एलबीडब्लू की एक और अपील हुई और इस बार अंपायर ने उन्हें आउट करार दिया.
और मुरली विजय ने भी डीआरएस न लेने का फ़़ैसला किया और पवेलियन लौट गए. हालाँकि बाद में रिप्ले से पता चला कि जब उन्हें नॉट आउट दिया गया, उस समय वे आउट थे और जब उन्हें आउट दिया गया, उस समय वे आउट नहीं थे. कई लोग इसे ईश्वर का न्याय भी कह सकते हैं. लेकिन क्रिकेट में ऐसी बातें होती रहती है.
डू प्लेसी के तीन शानदार कैच
मुंबई के कप्तान रोहित शर्मा ने मैच के बाद इस पर अफ़सोस व्यक्त किया कि उनकी टीम 20-25 रन और बना सकती थी. मुंबई की शुरुआत अच्छी रही और एक समय ऐसा लग रहा था कि उनकी टीम आसानी से 200 के आसपास स्कोर बना लेगी.
लेकिन ऐसा नहीं हुआ. इसमें कहीं न कहीं चेन्नई सुपर किंग्स के डू प्लेसी के तीन आसमानी कैच का भी योगदान था. इनमें से सौरभ तिवारी और हार्दिक पांड्या के भी कैच थे.
सौरभ तिवारी ने तो मुंबई की ओर से सबसे अधिक 42 रन बनाए और वे चेन्नई के लिए ख़तरनाक साबित हो सकते थे.
दूसरी ओर हार्दिक पांड्या भी दो बेहतरीन छक्के लगा चुके थे. लेकिन पहले सौरभ तिवारी, फिर हार्दिक पांड्या और आख़िर में पैटिन्सन का कैच लेकर डू प्लेसी ने अपनी टीम को मुंबई पर एक बढ़त तो अवश्य दिला दी
सैम करेन पर दाँव
चेन्नई की टीम जब बल्लेबाज़ी करने उतरी, तो क्रिकेट प्रेमियों को धोनी की बल्लेबाज़ी देखने की भी इच्छा रही होगी. लेकिन धोनी जब भारत के कप्तान थे, उस समय भी उन्हें बैटिंग लाइनअप में आख़िरी क्षण में परिवर्तन करने के लिए जाना जाता था.
गेंदबाज़ी में प्रयोग करने में वे उस्ताद माने जाते थे. 2007 के पहले टी-20 विश्व कप का फ़ाइनल कौन भूल सकता है, जब पाकिस्तान के ख़िलाफ़ एक तनावपूर्ण मैच का आख़िरी ओवर उन्होंने जोगिंदर शर्मा को सौंप दिया था और शर्मा उनके लिए तुरुप का इक्का साबित हुए और भारत को ख़िताबी जीत मिली.
ऐसे कई उदाहरण है, जब धोनी ने आउट ऑफ़ बॉक्स प्रयोग किए. ऐसा ही प्रयोग उन्होंने मुंबई के ख़िलाफ़ मैच में किया. उनकी बल्लेबाज़ी का इंतज़ार कर रहे चेन्नई समर्थकों को उस समय निराशा हुई जब धोनी न पाँचवें नंबर पर आए और न ही छठे नंबर पर.
पहले तो उन्होंने रवींद्र जडेजा को भेजा और फिर सैम करेन को. सैम करेन को अपने से ऊपर भेजने पर कमेंटेटर भी आश्चर्यचकित थे. लेकिन सैम करेन ने छह गेंदों पर फटाफट 18 रन बनाकर अपना काम पूरा किया. मैच के बाद धोनी ने बताया कि वे चाहते हैं कि ऐसे मौक़ों पर ये खिलाड़ी आकर आक्रामक बल्लेबाज़ी करके सामने वाली टीम पर मनोवैज्ञानिक बढ़त हासिल करें.
साउंड ट्रैक का खेल
कोरोना काल में दर्शकों की ग़ैर मौजूदगी में मैच कराना एक चुनौती है. कई खिलाड़ी ये मान चुके हैं कि ये उनके लिए बड़ी चुनौती है. इस साल यूरोपीय फ़ुटबॉल हो, यूएस ओपन टेनिस प्रतियोगिता या अन्य खेल मुक़ाबले- दर्शकों की ग़ैर मौजूदगी से खिलाड़ी ही नहीं टीवी दर्शक भी प्रभावित हैं.
टीवी दर्शकों को दर्शकों के शोर-शराबे की कमी न खले, इसके लिए साउंड ट्रैक का इस्तेमाल किया जा रहा है. ठीक उसी तरह जहाँ बिना दर्शक वाले सीरियलों में भी आपको हँसी और तालियाँ सुनने को मिलती हैं. कई अंतरराष्ट्रीय और क्लब फ़ुटबॉल में भी ये तरीक़ा आज़माया जा रहा है.
लेकिन आईपीएल के दौरान साउंड ट्रैक को लेकर टीवी दर्शक कई बार काफ़ी भ्रमित भी हुए. जब शानदार चौके और धक्के पर वे ट्रैक बजाना भूल गए या किसी ऐसे मौके पर तालियाँ और शोर सुनाई दिया जब इसकी कोई ज़रूरत नहीं थी. इस मामले में फ़ुटबॉल मैचों में साउंड ट्रैक का बेहतर इस्तेमाल हो रहा है.
आईपीएल में ऐसा पहली बार हुआ. उम्मीद है कि आगे साउंड ट्रैक प्ले करने में कोई खेल नहीं होगा.
....और अंत में रायुडू का जलवा
इस मैच की चर्चा हो और अंबाटी रायुडू की बात न हो, तो बात नहीं बनेगी. रायुडू ने न सिर्फ़ चेन्नई को मैच जिताने में सबसे बड़ी ज़िम्मेदारी निभाई, बल्कि प्लेयर ऑफ़ द मैच भी बने. चेन्नई की टीम इस शांत और संयत खिलाड़ी का बेहतर इस्तेमाल करती आई है.
चौथे नंबर पर चेन्नई टीम के लिए रायुडू सबसे मज़बूत खिलाड़ी साबित हो रहे हैं. रायुडू ने इस मैच में जिस तरह के शॉट्स खेले, उससे फिर ये सवाल खड़ा हो रहा है कि क्या उन्हें इतनी जल्दी अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास लेना चाहिए था?
सबको पता है कि रायुडू ने निराश होकर संन्यास की घोषणा की थी, जब उन्हें विश्व कप की टीम में जगह नहीं मिली थी. लेकिन क्रिकेट के बड़े जानकार भी इससे सहमत होंगे कि रायुडू को अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में वो मुकाम नहीं मिला, जिसके वे हक़दार थे. लेकिन आईपीएल में रायुडू का बल्ला हमेशा बोला है. इस बार भी चेन्नई की टीम रायुडू से और अच्छे प्रदर्शन की आस रखेगी.

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